Wednesday, March 6, 2024

गरीब लड़के का कहानी

गरीब लड़के का कहानी



एक समय की बात है एक गांव में एक भिखारी रहता था वह भिखारी लोगों से भीख मांग कर अपना गुजारा करता था उसकी पत्नी बोली हम लोग कब तक भीख मांगेंगे क्या भगवान ने हमारे नसीब में भीख मांगना ही लिखा है


तभी भिखारी अपने पत्नी को समझाते हुए कहा तुम चिंता मत करो भगवान जरूर कुछ ना कुछ सोचा होगा हमारे लिए जरूर कुछ ना कुछ करेगा तभी उस भिखारिन का एक लड़का जन्म लेता है जन्म लेने के बाद जब 5 साल का हो जाता है

तब वह अपने माता-पिता से जिद करने लगता है कि मुझे स्कूल पढ़ने जाना है परंतु भिखारी माता-पिता के पास इतना पैसा नहीं था कि वह अपने बच्चों को पढ़ा सकें तभी उस लड़के ने अपने माता पिता से कहा आप चिंता मत करो मैं


सरकारी स्कूल में पढ़ लूंगा भिखारी का लड़के का नाम श्याम था श्याम घर में जो भी रुखा सुखा रहता उसे खा कर पढ़ाई करने चला जाता जब पढ़कर आता तो जो भी रुखा सुखा मिलता उसे खाकर अपना होमवर्क करने लगता था


धीरे-धीरे श्याम बड़ा होता गया शाम जब इंटर फाइनल कर लिया तो उसने आगे की पढ़ाई की कोशिश की परंतु उसके माता-पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह आगे की पढ़ाई करा सके श्याम ने सोचा मैं क्यों ना


काम करते करते अपनी पढ़ाई पूरी करो और श्याम ने यही किया वह काम करते-करते अपनी आगे की पढ़ाई करने लगा श्याम को काम का भी एक्सपीरियंस मिलने लगा और उसने धीरे धीरे काम को बहुत अच्छी तरीके से समझ गया श्याम


धीरे-धीरे कॉन्टैक्टर बन गया उसके अंदर में 10000 लोग काम करने लगे अब उसके माता-पिता को भीख मांगने की जरूरत नहीं थी क्योंकि अब वह शाम नहीं रहा भिखारी का लड़का क्योंकि वह बन गया था एक बिजनेसमैन इसीलिए कहते हैं


दोस्तों कभी भी हमारा कर्म छोटा नहीं होता है हम उसे खुद छोटा बनाते हैं कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता अगर जो हम किसी भी कार्य को करना शुरू कर देंगे तो आने वाले समय में हमें कामयाबी मिल ही जाती है


यह दोस्तों हमारा खुद का एक्सपीरियंस है कि मैं पहले क्या था और अभी क्या हूं दोस्तों कभी भी किसी भी काम को छोटा मत समझ आएगा उसे लगन और ईमानदारी के साथ करना पसंद करिएगा दोस्तों लाइफ में एक न


एक दिन आप बहुत आगे बढ़ जाएंगे तो दोस्तों आशा करता हूं यह पोस्ट आपको बहुत ही अच्छा लगा होगा अच्छा लगा होगा तो प्लीज कमेंट करके हमें जरूर बताइएगा



Saturday, March 2, 2024

"प्यार का सफर: गांव से कर्नल तक"

  "प्यार का सफर: गांव से कर्नल तक"



प्यार का सफर: गांव से कर्नल तक"


चंदनपुर गांव में एक रोहन नाम का लड़का रहता था उसका उम्र 6 साल था उसी स्कूल में एक रागिनी नाम की लड़की पढ़ती थी उसका उम्र 5 साल था


दोनों एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त थे रागिनी और रोहन दोनों एक ही क्लास में पढ़ते थे दोनों में इतनी ज्यादा गहरी दोस्ती थी एक स्कूल नहीं जाता तो दोनों स्कूल नहीं जाते थे


धीरे-धीरे उनके बीच प्यार बढ़ता ही गया रोहन रागिनी से बहुत प्यार करता था रागिनी भी रोहन से बहुत प्यार करती थी रागिनी और रोहन दोनों धीरे- धीरे बड़े होते गए


रागनी शहर पढ़ने चले गए और रोहन बहुत गरीब घर का लड़का था वह गांव पर ही पढ़ाई करने लगा रागिनी के पिता शहर में व्यापारी थे धीरे-धीरे उनका व्यापार बढ़ता गया और वह अमीर होते गया परंतु रोहन के पढ़ाई में सारे पैसे खर्च हो जाते थे



जिससे रोहन आज भी गरीब था रागिनी के पिता गांव पर आए रागनी को लेकर तब रोहन बहुत ही खुशी से रागिनी से मिलने गया परंतु रागिनी ने कहा मैं तो गांव में अब मैं घूम नहीं सकती हूं क्योंकि पैदल घूमने से मेरा पैर दुखता है


तभी रोहन कहा ठीक है तुम मेरे साइकिल पर बैठ जाओ मैं तुम्हें गांव घुमा देता हूं रागिनी बोली मैं अपनी गाड़ी से ही जाऊंगी मैं साइकिल पर नहीं बैठ सकती हूं


रागनी को अब थोड़ा-थोड़ा अपने संपत्ति पर अपने अमीर पन पर उसे घमंड होने लगा था रोहन से रागिनी एक दिन बोली तुम अब मुझे भूल जाओ क्योंकि मेरे पिता एक गरीब घर के लड़के से कभी शादी नहीं करेंगे


रोहन बोला हम तो बचपन से ही आपसे बहुत प्यार करते हैं फिर आप ऐसा मुझे क्यों बोल रही हैं रागिनी ने पूरी बात समझाते हुए रोहन से ब्रेकअप कर लिया रोहन एक दो महीने तक सदमे में रहा फिर रोहन


अपने पढ़ाई की तैयारी करने लगा और उसने तय कर लिया कि मुझे भी एक बड़ा आदमी बनना है रोहन अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद शहर निकल गया शहर में जाकर काम तलाश करने लगा परंतु उसे काम भी नहीं मिल रहा था


तभी आर्मी की भर्ती आई और उसकी तैयारी करने लगा और उसका सिलेक्शन भी हो गया सिलेक्शन होने के बाद उसे स्पेशल मिशन के लिए भेज दिया गया जिसमें रोहन के घरवाले काफी चिंता थे


परंतु रोहन को बहुत पैसे मिले थे उसे स्पेशल मिशन के लिए रोहन उसे स्पेशल मिशन को बहुत ही आसानी से कर दिखाया धीरे-धीरे रोहन की प्रमोशन होती गई और देखते-देखते रोहन कर्नल बन गया



फिर रागिनी के पास 1 दिन मिलने गया और बोला पगली तू तो बहुत अमीर बन गई और तेरे प्यार में मैं कर्नल बन गया परंतु अब मैं पता नहीं क्यों तुझसे प्यार करना ही नहीं चाहता इतना कहकर रोहन वहां


से चला गया रागिनी की अपने बातों पर बहुत शर्मिंदा महसूस हुई और रागिनी अपने आपको कोसने लगी और इस तरह यह लव स्टोरी यहीं पर समाप्त हो गई तो दोस्तों कैसी लगी है लव स्टोरी हमें कमेंट करके जरूर बताइएगा


आप सभी दोस्तों को अपना कीमती समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद


Wednesday, February 21, 2024

Unrequited Love: Sandeep and Sandhya's Tale

  Unrequited Love: Sandeep and Sandhya's Tale

Unrequited Love: Sandeep and Sandhya's Tale


संदीप की लव स्टोरी एक लड़की थी जिसका नाम संध्या था वह लड़की संदीप के गांव के बगल में के रहने वाली थी और साथ में ही संदीप के पड़ोस के भाभी की बहन थी

संध्या जब अपने बहन के घर आई थी उस वक्त संदीप पहली बार संध्या को देखा था और देखते ही उससे प्यार कर बैठा था परंतु संध्या को यह बात पता नहीं थी आइए चलिए हम शुरू से बताते हैं


Unrequited Love: Sandeep and Sandhya's Tale



इस लव स्टोरी के बारे में संध्या जब पहली बार अपने दीदी के घर आई तो उस समय संदीप उसी घर में बैठा हुआ था संदीप संध्या को देखा तो पहली नजर में ही प्यार कर बैठा परंतु संध्या बहुत ही शरीफ और संस्कारी लड़की थी






संदीप उठते बैठते जागते सोते हर वक्त संध्या के बारे में ही सोचता रहता था एक दिन संदीप की भाभी बोली मेरे बहन को ले जाकर मार्केट में कुछ मार्केट करा लाओ



संदीप बहुत खुश हुआ और संध्या को लेकर मार्केट करने निकल पड़ा रास्ते में दोनों एक दूसरे से सोचते रहे कि क्या बात करना है संदीप मने मन में मुस्कुराता हुआ मार्केट पहुंच गया परंतु संध्या और संदीप के बीच कुछ बातचीत नहीं



Unrequited Love: Sandeep and Sandhya's Tale



हुई संदीप सोचा इस बार मैं जब उसे बाइक पर बैठा कर ले जाऊंगा तब मैं उससे कुछ बातें कर लूंगा संध्या जब मार्केट कर ली उसके बाद जब बाइक पर बैठकर जाने लगे तो


संदीप पहली बार संध्या से बात की संध्या भी हंसते मुस्कुराते संदीप से बात करने लगी और दोनों घर चले आए फिर संदीप ने हिम्मत जुटाकर सोचा कि मैं आज संध्या को प्रपोज कर लूंगा





संदीप संध्या को प्रपोज करने के लिए उसके घर गया जब उसके घर में कोई नहीं था तो संध्या से अपने प्यार की बातें कह दिया परंतु संध्या ना कह दिया संदीप चुपचाप उसके घर से चला गया हूं

2 दिन तक संदीप संध्या के घर नहीं गया हूं संध्या बहुत चिंता हो गई कि मैंने ना बोल दिया इसीलिए लग रहा नहीं रहा है



Unrequited Love: Sandeep and Sandhya's Tale


तभी उसकी भाभी ने एक छोटे से बच्चे को भेजकर संदीप को बुलवा ई संध्या की दीदी पूछने लगे कि तुम आ क्यों नहीं रहे थे तभी संदीप ने जवाब दिया मैं थोड़ा काम में व्यस्त था इसी के कारण से मैं नहीं आ



Unrequited Love: Sandeep and Sandhya's Tale


पाया संध्या ने संदीप को मुस्कुराते हुए कहा मैं तो तुम्हें देखना चाहती थी कि मैं ना बोलती हूं तो तुम क्या करते हो लेकिन तुम तो मुझे भूल ही गए संदीप ने संध्या से बोला ऐसी कोई बात नहीं है मैं यह सोच रहा था



Unrequited Love: Sandeep and Sandhya's Tale



कि मैं कैसे तुम्हारे सामने जाऊं संध्या ने अपने प्यार का इजहार संदीप के साथ कर दिया दोनों खुशी-खुशी रहने लगे हो लेकिन कहते हैं ना कि प्यार में ब्रेकअप जरूर होता है और ऐसा समय भी आ


गया कुछ साल गुजरे उसके बाद संध्या के लिए उसके पिताजी एक लड़का खोज दिए शादी के लिए संध्या इस बात से बड़ी दुखी थी क्योंकि संध्या संदीप से प्यार करती थी


Unrequited Love: Sandeep and Sandhya's Tale


संध्या ने संदीप के पास फोन लगाया और उससे सारी बातें बताएं संदीप बेचारा सारी बात अपने भाभी से बताएं परंतु भाभी ने कहा अब तो बहुत देर हो चुकी है अब मैं कुछ नहीं कर सकती


Unrequited Love: Sandeep and Sandhya's Tale


और इस तरह संध्या की शादी हो गई तो कैसी रही लव स्टोरी दोस्तों हमें कमेंट करके जरूर बताइएगा आप सभी दोस्तों को अपना कीमती समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद

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